Latest

6/recent/ticker-posts

Do lamha pyar ka ek pal intzaar ka.






दो लम्हा प्यार का,
एक पल इंतज़ार का,
थोड़ी बेकरारी इकरार का,
मौसम है ये बहार का।

साथी मेरे पास तो आओ,
मेरे जिया को भी धड़काओ,
तुम मुझे अपना बनाओ,
सूखी बगिया को महकाओ।

मिलन की हसरत अधूरी है,
आज तो मिलना जरूरी है,
कहने का मौका मत दो कि,
हमारे दरमियाँ कोई दूरी है।

रास्ते बदल गए थे तो क्या,
मंज़िल तो बस मोहब्बत है,
साथ में वक़्त गुजारने की,
चाहत है, जरूरत है।

©नीतिश तिवारी।






 

Post a Comment

9 Comments

  1. वाह वाह नीतीश जी ! बहुत सुंदर, बहुत रूमानी अभिव्यक्ति ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

      Delete
  2. रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।

    ReplyDelete
  3. समसामयिक, प्रेम रस में भीगी हुई रचना..

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

      Delete
  4. सरस श्रृंगार सृजन।

    ReplyDelete

पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।