बेनीवाल जी अपने पंचायत के सरपंच रह चुके थे। अपने चार बच्चों में से तीन की शादी करने के बाद छोटी लड़की की शादी के लिए योग्य वर की तलाश में थे।
"आजकल अच्छे लड़के मिलते कहाँ हैं हजारी जी"
बेनीवाल जी ने अपने बचपन के साथी और सुख दुख के सहयोगी हजारी जी के साथ अपनी चिंता ज़ाहिर किया।
"अरे मिलेंगे कैसे नहीं, आप प्रयास ही नहीं कर रहे हैं। मैंने बोला था आपसे कि अपने फौजी बेटे से बात करो। वो भी तो सरकारी नौकरी में है। कोई ना कोई उसका यार दोस्त होगा सर्विस में, बात बन जाएगी। आखिर सरकारी नौकरी की बात कुछ और ही होती है। बिटिया का भविष्य सुरक्षित हो जाएगा।"
हजारी जी ने अपने बहुमूल्य सलाह से अवगत कराया।
कुछ दिन बाद ही बेनीवाल जी का फौजी लड़का छुटियों में घर आया तो उन्होंने बेटी की शादी की बात छेड़ दी।
"बेटा, हम कह रहे थे कि बड़े वाले दामाद जी सरकारी नौकरी में हैं, सुमन के लिए भी कोई सर्विस वाला लड़का मिल जाता तो अच्छा होता। तुम्हारे नजर में कोई ऐसा लड़का है?"
"अरे बाबूजी, कहाँ सरकारी के चक्कर में पड़े हैं। कई लाख देने होंगे। इतने में कई काम हो जाएँगे।"
"लेकिन बेटा, घर की आखिरी शादी है। धूमधाम से होनी चाहिए और पैसे की क्या बात है, इतना जमीन है, एक बीघा बेच देंगे और क्या?"
दुश्मनी की चाहत और दोस्ती से तुम परहेज़ रखते हो,
मेरे लिए काँटे और अपने लिए फूलों की सेज रखते हो,
तुम्हारी ख़्वाहिश कि मैं ख़ाक हो जाऊँ दर्द-ए-तन्हाई में,
शायद इसलिए तुम चराग़-ए-नफ़रत बड़ी तेज़ रखते हो।
Dushmani ki chahat aur dosti se tum parhez rakhte ho,
Mere liye kaanten aur apne liye phoolon ki sej rakhte ho,
Tumhari khwahish ki main khaak ho jaun dard-e-tanhai mein,
Shayad isliye tum charag-e-nafrat badi tez rakhte ho.
मेरे आँसुओं के खरीदार तो बहुत मिले पर क़ीमत कोई लगा ना सका,
मैं बोली लगा रहा था अपने जज्बातों की, पर वो बेग़ैरत बाज़ार आ ना सका,
दावत-ए-सुख़न मिला था मुझे उसके सालगिरह की,
वो अपने यार के साथ पहली सफ़ में थे, मैं गीत कोई गा ना सका।
Mere aansuon ke khareedar toh bahut mile par keemat koi lagaa naa saka,
Main boli laga raha tha apne jajbaaton ki par wo begairat bazaar aa naa saka,
Dawat-e-sukhan mila tha mujhe uske saalgirah ki,
Wo apne yaar ke saath pahli saf mein the, main geet koi gaa naa saka.
"पूरी दुनिया में एक भी डॉक्टर ऐसा नहीं है जो दवा के साथ दिन में दो बार प्रेमपत्र लिखने के लिए कहे।
सब बीमारियाँ केवल दवा से कहाँ ठीक होती हैं!"
ऊपर लिखी हुई ये पंक्तियाँ, दिव्य प्रकाश दुबे जी की किताब इब्नेबतूती से हैं। इन्होंने चार और किताबें लिखी हैं और इब्नेबतूती इनकी पाँचवीं किताब है।
आप सोंच रहे होंगे कि मैं किताब का review क्यों लिख रहा हूँ? तो बात ऐसी ही कि जब अल्लू- गल्लू लोग किसी भी फ़िल्म का review कर सकते हैं तो मैं तो साहित्यकार हूँ। (अभी कोई मानता नहीं है इसलिए खुद ही उपाधि दे रहा हूँ), मैं तो किताब के बारे में लिख ही सकता हूँ।
अब दूसरा प्रश्न ये है कि क्या ये Sponsored post है? उत्तर है- बिल्कुल नहीं। दुबे सर ने इसके लिए एक रुपया भी नहीं दिया है और ना ही प्रकाशक Hind Yugm ने ये review लिखने के लिए कहा है।
दुबे सर ने अगर कुछ दिया है तो अपनी बहुमूल्य सलाह, आशीर्वाद और बेहतरीन साहित्य। हिन्दी को हिंदी भाषी ( बाकी भाषा वालों से तो तब उम्मीद करेंगे जब अपने हिंदी वाले ही हिंदी को पढ़ लें।) तक पहुँचाने के लिए बस यही प्रेरणा काफी है।
इब्नेबतूती में खास क्या है?
ये बिल्कुल वाज़िब सवाल है। ये किताब एक ऐसे बेटे की कहानी है जो अपनी माँ के जीवन में सिर्फ़ खुशियाँ देखना चाहता है। तब जबकि उसके पिता कब के उसे छोड़कर जा चुके हैं और वो भी अब साथ नहीं रहने वाला। ये किताब एक ऐसे माँ की कहानी है जिसने अपने बेटे की खुशी के ख़ातिर अपने खुशियों से समझौता तो कर लिया था लेकिन उसे कभी जगजाहिर नहीं होने दिया। कहते है कि हर रिश्ते में कुछ ना कुछ अधूरा रह ही जाता है। उसी अधूरे रिश्ते के पूरा होने की कहानी है इब्नेबतूती।
इब्नेबतूती क्यों पढ़ें?
माँ और बेटे के रिश्ते पर लिखी हुई ये अपने आप में एक अलग तरह की कहानी है जो खत्म तो कभी नहीं होती, हाँ माँ के त्याग और समर्पण का एक एहसास जरूर कराती है।
इब्नेबतूती क्यों ना पढ़ें?
मुझे तो ऐसी कोई वज़ह नज़र नहीं आती। अगर आपको पता लगे तो सूचित करिएगा।
निष्कर्ष।
मैंने कई किताबें पढ़ी हैं। रोज कुछ ना कुछ पढ़ता ही रहता हूँ। लेकिन ये किताब अपने आप में बिल्कुल अलग है। अलग इसलिए भी कि इस किताब का जो मूलभाव और उद्देश्य है वो बिल्कुल नया और अलग है।
एक माँ के अतीत में कहीं विस्मृत हो चुके भावनाओं को वर्तमान के सुनहरे वक़्त के साथ अपनी शब्दों की जादूगरी से लेखक महोदय ने बखूबी से व्यक्त किया है।
आज के लिए इतना ही। मिलते हैं फिर एक नए ब्लॉग पोस्ट के साथ। तब तक के लिए विदा दीजिए और पोस्ट अच्छी लगी हो तो शेयर कीजिए।