जरुरत थी या मजबूरी , जो तुमने निभायी ये दूरी। दस्तूर तुम्हारा ऐसा था , मैं चाँद कि आस में जगा था। एक छोटी सी नादानी थी , जो…
Read moreTwo line shayari तेरे शहर का मिज़ाज़ देखा , लोग बदनाम हैं एक नाम के खातिर। उन परिंदो के पैर अब तक भटकते है , शायद उनका आशियाना अब भी …
Read moreउस टूटे हुए शीशे की औकात क्या, खुद को देखने के लिए तेरा चेहरा ही काफ़ी है. उस बिखरे हुए पत्ते की बिसात क्या, खुद …
Read moreआप सभी को मेरे ब्लॉग की पहली वर्षगाँठ और नववर्ष की हार्दिक शुभकामना. नववर्ष मंगलमय हो. आज मेरे ब्लॉग को एक…
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