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Mohabbat ka shamiyana chahta hu | मोहब्बत का शामियाना चाहता हूँ।


 












Mohabbat ka shamiyana chahta hu | मोहब्बत का शामियाना चाहता हूँ।


खुद से बिछड़कर खुद को पाना चाहता हूँ,

रात के बाद सुबह को लाना चाहता हूँ।


पता चला है उस किनारे पर हसीन जवाँ रहती है,

मैं दरिया पार कर, उधर जाना चाहता हूँ।


कोई आए और हमें मोहब्बत का आसरा दे,

अपने लिए बस ऐसा एक शामियाना चाहता हूँ।


©नीतिश तिवारी।


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