परछाईयाँ लंबी होती जाती हैं, रौशनी फिर मुहँ फेर लेती है, साथी जो कभी रूठ जाए, साँसे थम जाती हैं, धड़कन रुक कर चलती है। Parchhaiyan lambi hoti jati hai…
Read moreEk doosre ko sirf apna kahenge | एक दूसरे को सिर्फ़ अपना कहेंगे। एक शाम उदास है, उसे जुगनुओं की तलाश है, हमें याद आ रहा वो शख्स, जो हमारे लिए खास है। …
Read moreवो मोहब्बत के दावे, वो बिछड़ने के बाद के शिकवे-गिले, हमने भुलाये ही नहीं, जब तुम पहली बार थे मिले। भँवरे पास आये थे, बगिया में फूल थे खिले, रौशन हुआ थ…
Read moreक्यों हो रहा है ऐसे? सब खत्म हो रहा है जैसे। मानवता को किसकी नज़र लगी है, दूर सबसे जिन्दगी हो रही है। लगता है मौत के बहुत रिश्तेदार हैं यहाँ, तभी तो ब…
Read moreशब्द नहीं साथ दे रहे | shabd nahi saath de rahe. बहुत दिनों से कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूँ। लेकिन ना ही जज्बातों को महसूस कर पा रहा हूँ, ना ही शब…
Read morePic credit: pixabay Kya soch rahi ho weerane mein | क्या सोच रही हो वीराने में? क्या सोच रही हो वीराने में? किसी का दिल तोड़ दिया क्या अनजाने में? इ…
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