क्यों हो रहा है ऐसे?
सब खत्म हो रहा है जैसे।
मानवता को किसकी नज़र लगी है,
दूर सबसे जिन्दगी हो रही है।
लगता है मौत के बहुत रिश्तेदार हैं यहाँ,
तभी तो बार बार उसकी दस्तक हो रही है।
प्रभु से तो बस अब यही कामना है,
सारे दुखों को आपको हरना है।
©नीतिश तिवारी।
2 Comments
मानवता को किसी की नज़र तो लगी ही है आदरणीय नीतिश जी। और मौत के रिश्तेदारों को पहचानना ज़रूरी है अपनी और अपनों की ज़िन्दगी के लिए। बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है यह आपकी।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।