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सुबह-सुबह।














ये चाय की चुस्की,
अखबार
और तुम्हारी यादें,
कमाल की बात तो देखो,
तीनों सुबह-सुबह ही आती हैं।

Ye chai ki chuski,
Akhbaar
Aur tumahari yaden,
Kamaal ki baat to dekho,
Teeno subah-subah hi aati hain.

©नीतिश तिवारी।

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4 Comments

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (08-01-2018) को "बाहर हवा है खिड़कियों को पता रहता है" (चर्चा अंक-2842) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

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  2. Replies
    1. आपको भी नव वर्ष मंगलमय हो!

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