ख्वाहिश की तरह।

गुजरते वक़्त के साथ मैंने ये समझा है, हालात कैसा भी हो अपने को जिंदा रखा है, चाहे महफ़िल हो चाहे हो कोई वीरानी, हर हालात में मैंने, बस मुस्कुराना सीखा है। ऐ जिंदगी बहुत तड़पा रही है ना तू मुझे, तुम्हारे इस तड़प की कसम सुन ले तू मुझे, अभी जी रहा हूँ तुझे एक जरूरत की तरह, पर एक दिन जियूँगा तुझे मैं ख्वाहिश की तरह। ©नीतिश तिवारी।