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कुछ पाने से पहले ,कुछ खोने बाद।



















उस आवारगी को भुलाने से पहले ,
तेरी दीवानगी को मिटाने  से पहले ,
हमने  तेरा दिल निकाल दिया ,
अपना दिल जल जाने से पहले। 

ज़ालिम,मोहब्बत तो तुमने कभी की ही नहीं,
दिखावा किया था, मेरा दिल तोड़ जाने से पहले,
और मैं  भी बैठा रहा तेरे पहलू में,
अपनी हर सांस रुक जाने से पहले। 

कि कोई अंदाज़ नया होता तो बयाँ करते ,
डूबती हुई कश्ती को सम्भल जाने से पहले ,
मेरी हर आरज़ू तेरी इंकार की मोहताज़ बन गई ,
मैं ख्वाब देखता रहा नींदों में,जग जाने से पहले। 

मैं तो काफ़िर रहा हूँ बरसो तक ,
तेरे वज़ूद में ढल जाने से पहले ,
और ना जाने किस ख़जाने की तलाश करता रहा ,
हर एक दरिया में उतर जाने से पहले।   

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धन्यवाद !

आपका 
नीतीश 

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