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स्याह रातों को जिया ही नहीं।





फिर आप जज्बात की बात करते हो,
और आपने मेरे हालात देखा ही नहीं।

फिर आप राह चलते मिल जाते हो,
कभी बैठकर मेरी आँखों को पढ़ा ही नहीं।

फिर आप उजाले की तारीफ़ करते हो,
कभी स्याह रातों को जिया ही नहीं।

©नीतिश तिवारी।


 

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2 Comments

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 02 अगस्त 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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