![]() |
Pic credit: twitter |
एक बात सुनाऊँ,
आश्चर्य तो नहीं होगा!
तुम अब भी
उतनी ही सुंदर
लगती हो।
वही वाली साड़ी
पहनकर आना न
मिलने हमसे
मैचिंग वाली बिंदी
के साथ।
फिर पहली बार
की तरह ही
जी भरके तुम्हें निहारूँगा
फिर से अपना बनाऊँगा।
©नीतिश तिवारी।
ये भी देखिए:
4 Comments
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 07 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।
Deleteवाह !
ReplyDeleteधन्यवाद!
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।