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स्त्री के प्रेम का अस्तित्व।


स्त्री के प्रेम का अस्तित्व
Pic credit: Google.



प्रेम की कविताओं
को पढ़ते वक्त तुम
ढूँढ लेते हो श्रृंगार रस 
के दोनों  प्रकार
संयोग श्रृंगार और 
वियोग श्रृंगार।

बस नहीं ढूँढ पाते तो 
उस प्रेम का अस्तित्व 
जो एक स्त्री तुमसे 
करती है निःस्वार्थ
ये जाने बिना कि उसे 
संयोग मिलेगा या वियोग।

©नीतिश तिवारी।


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8 Comments

  1. सटीक प्रश्नावली।
    आपका जवाब नहीं।

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    1. धन्यवाद सर। आपके सानिध्य में ही सब कुछ सीखा है।

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  2. नीतिश तिवारी जी,
    सादर नमस्ते

    बस नहीं ढूँढ पाते तो
    उस प्रेम का अस्तित्व
    जो एक स्त्री तुमसे
    करती है निःस्वार्थ

    सदियों से भटकता ये प्र्श्न, मगर उत्तर नहीं मिला कभी , जाने मिले भी के नहीं। .. बहुत आसान भाषा में बहुत गहरी बात कही। ... गहरी रचना


    कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद। आप भी अपना ख्याल रखिए।

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  3. बहुत ही खूबसूरत लिखतें हैं आप हार्दिक बधाई.
    सादर

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी।

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