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#कर्म
भगवान इंसानों में ही बसते हैं
राम कृष्ण सब कर्म से बनते हैं
जो कर्मों को अपने अंदर जगा लेते हैं
वही भगवान बनते हैं
जिनकी कर्मो की कथाएँ प्रचलित हैं उनकी ही तो मंदिरों में प्रतिमायें स्थापित हैं
उपासना उन्हीं की होती है जिनके कर्म समर्पित होते हैं
धर्म निर्माण भी तो कर्म से ही होते हैं
सुख का आसन या दुःख का पाषाण भी तो कर्म से ही टूटते हैं
जो कर्म युद्ध में जीतते हैं वही तो महारथी उभरते हैं
कर्म ही पूजे जाते हैं
देह तो नश्वर होते हैं
कर्म ही तो हमें अमर बनाते हैं
भगवान इंसानो में ही बस्ते हैं
इंसान कर्म से ही भगवान बनते हैं
©शांडिल्य मनीष तिवारी।
12 Comments
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (13-04-2020) को 'नभ डेरा कोजागर का' (चर्चा अंक 3670) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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रवीन्द्र सिंह यादव
रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर सन्देश
ReplyDeleteधन्यवाद सर। मेरे छोटे भाई ने लिखी है।
DeleteAchha lekin last bhagwan lyk bnnte h .kbhi insan bhgwan nhi bnn skta quki ki hm log adhura h or badh jiv h
ReplyDeleteThanks
Deleteकर्म ही तो हमें अमर बनाते हैं
ReplyDeleteभगवान इंसानो में ही बस्ते हैं
इंसान कर्म से ही भगवान बनते हैं
बहुत खूब ,लाज़बाब सृजन ,सादर नमन
बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteसही कहा भगवान कर्म से बनते हैं । कर्म ही सर्वश्रेष्ठ है और कर्म ही पहचान
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सार्थक लाजवाब सृजन।
शुक्रिया।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।