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शायरी एक बार फिर।










तेरी ख़्वाबों को अपनी नींदों में छुपा रखा है,
तेरी खुशबू को अपनी साँसों में बसा रखा है,
अब देर ना कर कहीं ये रात ना ढल जाए,
तेरी आरज़ू को अपने दिल से लगा के रखा है।

Teri khwabon ko apni neendon mein chhupa rakha hai,
Teri khushboo ko apni sanson mein basa rakha hai,
Ab der naa kar kahin ye raat naa dhal jaye,
Teri aarzoo ko apne dil se laga ke rakha hai.

©नीतिश तिवारी।

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4 Comments

  1. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(20 -12 -2019) को "कैसे जान बचाऊँ मैं"(चर्चा अंक-3555)  पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है 

    ….
    अनीता लागुरी 'अनु '

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    Replies
    1. मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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  2. वाह उम्दा शायरी।
    सुंदर शब्द संयोजन।

    ReplyDelete

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