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कलयुग का आरम्भ क्यों हुआ?








Pic credit : Google.







कलयुग का आरम्भ क्यों हुआ?

सनातन धर्म के शास्त्रों के मुताबिक कलयुग चौथा और आखिरी युग है। अभी कलयुग का प्रथम चरण चल रहा है। इसका मतलब ये हुआ कि अभी कई वर्षों तक कलयुग का काल क्रम जारी रहेगा और आखिरी में दुनिया खत्म हो जाएगी। वैसे दुनिया तो 2012 में ही खत्म होने वाली थी लेकिन यहाँ मौजूद लोगों के अच्छे कर्म और गुणवान चरित्र को देखते हुए भगवान ने कुछ वर्षों का एक्सटेंशन दे दिया। या यूँ कहिए कि सशर्त पेरोल दे दिया कि बेटा ठीक से रहो नहीं तो सबको अपने पास बुला लेंगे। 

लेकिन इस पोस्ट में मेरा मकसद आप सभी को कलयुग के निर्माण के पीछे के सत्य से रूबरू कराने का है। द्वापर युग के कालखंड की घटनाओं को आधार बनाकर भगवान ने कलयुग का निर्माण किया। मनुष्य को सबसे ज्यादा बुद्धिमान प्राणी का दर्जा दिया गया। वो बात अलग है कि यही मनुष्य समय समय पर अपनी बुद्धि खो देता है और फिर भगवान को ही दोष देने लगता है।  तो आइये कलयुग निर्माण के पीछे के रहस्य को जानते हैं और कुछ बिंदुओं पर विचार करते हैं।

# कलयुग का निर्माण शायद इसलिए हुआ होगा क्योंकि जब तक time machine की खोज नहीं हो जाती तब तक FaceApp के जरिए मनुष्य भविष्य में जाने की डिजिटल कोशिश करता रहेगा। ये बात सिर्फ पुरुषों पर लागू होती है क्योंकि कोई महिला बूढ़ी दिखना नहीं चाहती । इसी का परिणाम है कि किसी भी महिला को आपने FaceApp का प्रयोग करते हुए नहीं देखा होगा। 

# महाभारत में द्रौपदी का चीरहरण तो सिर्फ एक बार हुआ था, वो भी भरी सभा में। इसके विपरीत कलयुग में हमारी माताओं और बहनों की अस्मिता से रोज खिलवाड़ हो रहा है। दोनों काल में समानता बस इतनी है कि तब भी आरोपी (दुशासन) रसूखदार था और आज के भी आरोपी (विधायक सेंगर और न जाने कितने और) रसूखदार हैं। शायद कलयुग का निर्माण यही दिन देखने के लिए हुआ होगा।

# चाँद और मंगल पर हम पहुँच चुके हैं लेकिन अभी भी 21वीं शताब्दी में मृत शरीर को ले जाने के लिए Ambulance तक उपलब्ध  नहीं हो पाता है। उड़ीसा की कई घटनाएँ इसकी गवाह हैं। भगवान भी ये देखकर सोंच रहे होंगे कि द्वापरयुग के बाद ही दुनिया को खत्म क्यों नहीं कर दिया गया।

# सैकड़ों बच्चे अचानक ऐसी बीमारी से मर जाते हैं जिसको ठीक से पता नहीं लगाया जा सकता। इलाज और दवाई की बात तो छोड़ दीजिए। जवाबदेही माँगने गए TRP वाली धुरंधर पत्रकारिता को सार्थक करने वाले पत्रकार , डॉक्टर के मुँह में माइक ठूँसकर ICU को अपने चैनल का स्टूडियो समझ लेते हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि सरकार के पास जाकर सवाल करने की उनकी हिम्मत नहीं है।

# गरीब के पास पहनने के लिए ढंग के कपड़े नहीं है और अमीर लोग ( कुछ तो जबरजस्ती अमीर दिखने की कोशिश करते हैं भले ही शक्ल बिल्कुल भिखारी वाला हो) तथाकथित फैशन वाले फटी जीन्स पहनने पर गौरवान्वित महसूस करते हैं। शायद इसलिए ये घोर कलयुग है।

# कलयुग का निर्माण शायद इसलिए भी हुआ होगा कि धर्म, सम्प्रदाय, जाती और क्षेत्र के आधार पर दो लोगों को बाँट दिया जाए और तीसरा मौज ले।

#  पहले एक कहावत थी- "आप रूप भोजन, पर रूप  श्रृंगार।"  मतलब भोजन अपनी पसंद से करना चाहिए और श्रृंगार दूसरे की पसंद से। आजकल बिल्कुल उल्टा हो रहा है। यही तो असली कलयुग है।

# कलयुग का निर्माण इसलिए भी हुआ होगा कि संख्या 6 को 6 कहने वाले लोग कम रहेंगे। कुछ कहेंगे कि 6 पांच से बड़ा है, कोई कहेगा कि 6, सात से छोटा है। और अगर बहुत ज्यादा पढ़े लिखे विद्वान से आप पूछेंगे तो कहेगा कि 2 और 3 के गुना करने से 6 आता है। 

# राजा को प्रजा की बिल्कुल भी चिंता नहीं होगी। अगर होगी भी तो mutual fund वाले विज्ञापन के आखिरी लाइन की तरह होगी। "बीमा आग्रह की विषय वस्तु है, खरीदने से पहले नियम व शर्तें जाँच लें।" ये कलयुग निर्माण का सबसे शुद्ध कारण है।

# कलयुग का निर्माण इसलिए भी हुआ होगा कि देश की सेना के शौर्य पर कुछ चिरकुट नेताओं द्वारा शक किया जाए। शायद महाभारत में अभिमन्यु इसलिए वीरगति को प्राप्त हो गए थे क्योंकि चक्रव्यूह भेदने के बाद वो अरविंद केजरीवाल के लिए सबूत इकट्ठा कर रहे थे।

# कलयुग का निर्माण इसलिए भी हुआ होगा कि हजारों लाखों प्रतिभावान युवा अपने अधिकार से सिर्फ इसलिए वंचित रह जाते हैं क्योंकि उन्हें उन्हीं के देश के हुक्मरानो ने जातिगत आरक्षण का अभिशाप दिया हुआ है। 

बाकी कहने को तो बहुत कुछ है पर लिखेंगे फिर कभी अगले पोस्ट में । तब तक साथ बनाए रखिए। 
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धन्यवाद।

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©नीतिश तिवारी।

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