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व्यंग--गुलाल, कंगाल, मालामाल।
























किसी ने रंग उड़ाये, किसी ने गुलाल,
नीरव मोदी पैसा उड़ाया, बैंक हुआ कंगाल।

शौचालय,बिजली,घर से किया सबको मालामाल,
सब जगह मोदी जी छाये, कांग्रेस का हुआ खस्ता हाल।

लालू जी की बेल हुई है नामंजूर,
और होली में रहेंगे अपने घर से दूर।

केजरीवाल ने कुमार विश्वाश को दिखाई ऐसी सुनामी,
बन गए वो राजनीति में सबसे कम उम्र के आडवाणी।

होली में भाभी बनाएं मालपुआ, लेकिन हमरा चाही रसपुआ,
बड़कन के लिहीं आशीर्वाद, छोटकन के दिहीं हम दुआ।

होली की शुभकामनाओं के साथ,
आपका 
©नीतिश तिवारी।

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2 Comments

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (03-03-2017) को "खेलो रंग" (चर्चा अंक-2898) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    रंगों के पर्व होलीकोत्सव की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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