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Ghazal- Mujhko Bahut Sataya Ja Raha Hai.

Ghazal






मुझको बहुत सताया जा रहा है,

गैरों को भी अपना बताया जा रहा है।


ज़ख्म देने वालों ने तो हद ही कर दी,

दर्द मुश्किल से छुपाया जा रहा है।


फूलों की खेती को छोड़कर,

बस काँटों को ही उगाया जा रहा है।


आखिरी उम्मीद तो बस साँसे ही थीं,

अब इन साँसों को भी दबाया जा रहा है।


©नीतिश तिवारी।

 

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