नमस्ते!
आप सभी का एक और नए ब्लॉग पोस्ट में स्वागत है। आज एक गम्भीर विषय पर चर्चा करना चाहूँगा। इससे पहले कि मैं आगे लिखूँ, बताना चाहूँगा कि सितंबर 28 को मैं 36 साल का हो जाऊँगा और मेरी एक बेटी भी है को 3 साल की हैं।
तो मान्यवर, कहना ये है कि आजकल मैं एक अजीब परिस्थितियों का सामना कर रहा हूँ। अपने आसपास और दोस्तो से ये ताना सुनने को मिल रहा है कि क्या रोज इश्क़ मोहब्बत की बातें लिखते रहते हो। अब एक लड़की के बाप हो, कुछ और लिखो। उम्र के साथ कविता भी वैसी होनी चाहिए। अब ऐसी और वैसी कविता कैसी होती है मुझे नहीं पता। मेरे तो बस जो दिल में होता है वह मैं लिख देता हूँ।
तो मुझे पूछना था कि क्या उम्र के साथ कविता के भाव, अक्षर, शब्द, एहसास सब बदल जाते हैं? क्या कुछ और लिखना चाहिए जो मुझे समझ में नहीं आ रहा है? आप लोग मार्गदर्शन करें फिर मैं उसी हिसाब से पोस्ट डालूंगा.
धन्यवाद!
©नीतिश तिवारी।
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