Latest

6/recent/ticker-posts

एक दास्ताँ, अनगिनत कहानियाँ: यादों की चादर में उलझी ज़िंदगी।

Pic credit: pixabay 




 






सबके इरादे जानता था मैं,

हर एक मुखौटा पहचानता था मैं,

मुझसे बस यही एक भूल हो गई,

कि सबको अपना मानता था मैं।


Sabke irade janta tha main,

Har ek mukhauta pahchanta tha main,

Mujhse bas yahi ek bhool ho gayi,

Ki sabko apna manta tha main.


मोहब्बत की राह इतनी आसान ना थी,

फूलों की चाह में काँटों से घिर गए,

भँवरों ने साथ निभाने की कोशिश जरूर की,

पर काँटों की साज़िश से वो भी डर गए।


Mohabbat ki raah itni aasan na thi,

Phoolon ki chah mein kaanto se ghir gaye,

Bhanwaro ne saath nibhane ki koshish jarur ki,

Par kanton ki sazish se woh bhi dar gaye.


चार दर्द, तीन तन्हाई, दो बेवफ़ा और एक ख़्वाब,

इश्क़ के अंज़ाम में मुझे ये दस साथी मिल गए।


Char dard, teen tanhai, do bewafa, aur ek khwab,

Ishq ke anzam mein mujhe ye dus sathi mil gaye.


सफ़ाई देता मैं अपनी नासमझी का मगर किसको?

वो शख्श तो मुझसे ज्यादा समझदार निकला।


Safai deta main apni nasamjhi ka magar kisko?

Woh shakhs toh mujhse jyada samjhdar nikla.


©नीतिश तिवारी।


Post a Comment

2 Comments

  1. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद!

      Delete

पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।