Latest

6/recent/ticker-posts

ऐ मंज़िल तू अभी इंतज़ार कर।




फिर उस राह पर चल पड़ा,
मंज़िल को चुनौती देते हुए,
कि मैं जल्द ही तेरे पास आऊँगा,
अभी राह के काँटों को हटाना है।

मेरे सपने तो पूरे होंगे ही,
तेरा भी जय जयकार होगा,
ऐ मंज़िल तू अभी इंतज़ार कर,
तेरा भी गुनगान होगा।

©नीतिश तिवारी।


 

Post a Comment

2 Comments

  1. निरंतर चलने वाला एक न एक दिन मंजिल जरूर पाता है, बहुुतअच्‍छी प्रस्‍तुति

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

      Delete

पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।