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आज सब खुलकर आ गए।




किस्मत का खेल भी
कितना निराला था
अनजान था उससे मैं
जो होने वाला था

कई चेहरे साथ में थे
शराफत का नक़ाब लिए
शातिर दिमाग और छल
को अपनाए हुए थे

आज सब खुलकर आ गए
असली पहचान बता गए
उनकी फौज में शामिल होकर
कुछ अच्छे भी गद्दार कहलाए

©नीतिश तिवारी।


 

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