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Movie review: Kaun Pravin Tambe?

Kaun pravin tambe?
Image source: Amar Ujala.




Movie review: Kaun Pravin Tambe?


ऐसा माना जाता है कि इंसान अगर ज़िद पर आ जाये, हौसले बुलंद रखे और मेहनत करता जाये तो कुछ भी हासिल कर सकता है। बहुत कम ही लोग होते हैं जो अपने पैशन को फॉलो कर पाते हैं, वो भी विपरीत परिस्थितियों में काफी लंबे समय तक। लेकिन जब आपका पैशन प्रोफेशन बन जाता है तो फिर जादू होता है। उसी जादू के होने की कहानी है- कौन प्रवीण तांबे?


हॉटस्टार पर बिना किसी शोर शराबे और प्रोमोशन के एक फ़िल्म आयी है जिसका नाम है - कौन प्रवीण तांबे? दरसअल प्रवीण तांबे एक क्रिकेटर रहे हैं और उनके ही जीवन पर ये फिल्म बनी है। मैं फ़िल्म समीक्षा बहुत कम ही लिखता हूँ लेकिन अगर लिखता हूँ तो सीधा सा मतलब है कि फिल्म मुझे बेहद पसंद आई है और उस फिल्म में कुछ खास जरूर है। 


प्रवीण तांबे का सेलेक्शन 41 वर्ष की उम्र में IPL में हुआ था। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेले और हैट्रिक लिया था। इससे पहले वो सारी उम्र रणजी ट्रॉफी में सेलेक्शन के लिए प्रयास करते रहे लेकिन नहीं हुआ। वो कहते हैं ना कि अपना कर्म करते रहो, जो जिस दिन होना है वो होकर ही रहेगा।


हमारे देश में मिडिल क्लास के लोगों को अपना पैशन फॉलो करने की इजाज़त नहीं होती। अगर किसी तरह घर वाले मान भी जाएँ तो कभी परिस्थिति तो कभी समाज अड़चन डालते रहता है। इन सभी अड़चनों को आदमी पार भी कर ले और अपना पैशन को फॉलो करने लग जाये तो भी पर्याप्त अवसर नहीं मिलते। चारों तरफ निराश होती है। हौसला टूटने लगता है। लेकिन क्रिकेटर प्रवीण तांबे की कहानी हौसले को बुलंद रखकर सफलता पाने की कहानी है। घर परिवार की जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए 41 की उम्र में पहचान पाना कोई बुलंद हौसले वाला असाधारण इंसान ही कर सकता है।


फ़िल्म की बात करें तो श्रेयस तलपड़े ने प्रवीण तांबे का किरदार अदा किया है और क्या खूब अभिनय किया है। पॉपुलर कलाकर में इनके अलावा आशीष विद्यार्थी जी है। बाकी फ़िल्म को चकाचौंध से दूर रखते हुए सिंपल बनाया गया है। सभी का अभिनय अच्छा है और सबसे जरूरी बात की फ़िल्म आपको बाँधे रखती है। धोनी फ़िल्म में सेकेंड हाफ़ में क्रिकेट थोड़ा ज्यादा हो गया था लेकिन यहाँ ऐसा नहीं है। इस फ़िल्म में तांबे की पर्सनल लाइफ और क्रिकेट का संतुलन अच्छा दिखाया गया है। मराठी में बोले गए संवाद कर्णप्रिय लगते हैं।


अंत में इतना ही कहूँगा कि जब हम अपने सपनों को पूरा करने की ज़िद में होते हैं तो बहुत कम ही लोग होते हैं जिनका हम पर भरोसा होता है। प्रवीण तांबे के साथ भी कुछ ऐसा ही था। जब आप फ़िल्म देखेंगे तो इस बात को और बेहतर तरीके से महसूस कर पायेंगे। मैं तो कहूँगा की पहली फुर्सत में देख डालिये। बेहतरीन फ़िल्म है।


अभी के लिए विदा लेता हूँ। पोस्ट कैसी लगी कमेंट में जरूर बताइयेगा। नीचे अपने यूट्यूब चैनल का लिंक दे रहा हूँ। सब्सक्राइब करेंगे तो मुझे खुशी होगी।


©नीतिश तिवारी।




 

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