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Book review of Teen Roz Ishq written by Puja Upadhyay.

Teen roz ishq




कहते हैं कि इश्क़ का रंग लाल हो, गुलाबी हो या फिर सफेद, इश्क हर रंग में उतना ही दिलकश और प्रभावशाली होता है जितना इसे करने वाले लोग होते हैं। दोस्तों, इसी क्रम में आज बात करेंगे बेहद ही अलग और रूमानी एहसासों से भरी इत्र की खुशबू महकाती हुई किताब तीन रोज इश्क के बारे में।


यूँ तो पूजा उपाध्याय जी द्वारा लिखित इस किताब का प्रकाशन 2015 में हुआ था। लेकिन जिस प्रकार से इश्क़ हमेशा जवाँ रहता है, कभी बूढ़ा नहीं होता। ठीक उसी तरह यह किताब बिल्कुल नए ताजगी का एहसास कराती है। पूजा जी की लेखनी को मैं काफी लंबे समय से इनके ब्लॉग 'लहरें' के माध्यम से पढ़ता आया हूँ। बहुत ही शानदार और यूनिक लिखती हैं।


अगर आपको दोस्ती, मोहब्बत, एहसास, ख्वाब की तलब है, अगर आप शब्दों को महसूस करके किसी के दिल तक पहुँचना चाहते हैं तो यह किताब आपके लिए है। किताब मैंने यह सोचकर खरीदी थी कि इसमें कुछ आठ दस कहानियां होंगी। लेकिन अगर इस किताब में चैप्टर्स की बात करूं तो कुल 46 चैप्टर्स हैं। छोटे-छोटे चैप्टर्स हैं, लेकिन जब आप एक चैप्टर से दूसरे तक पहुंचते हैं तो किताब पढ़ने की उत्सुकता में दुगनी वृद्धि हो जाती है।


लेखिका के कलम के जादू को मैं इस तरह से परिभाषित करूँगा कि चैप्टर्स के नाम से ही उनको पढ़ने की एक अलग जिज्ञासा उत्पन्न होती है। मसलन ये वाला भाग, "इश्क जब मुस्कुराता है तो उसके गालों के गहरे गड्ढे में सब गिर जाते हैं।" या फिर ये, "एक अम्ल का माफीनामा।" बिल्कुल अलग, अनोखा और शानदार।


अगर आप ये किताब पढ़ना चाहते हैं तो आपको सलाह दूँगा कि इसे एक ही बैठक में पढ़कर खत्म करें। ऐसा इसलिए क्योंकि लेखिका ने जिस बारीकी से अपने शब्दों के माध्यम से एहसासों और इश्क़ का जो जाल बुना है वो अगर एक बार में महसूस नहीं किया गया तो वो जाल टूट जाएगा। और इन बात से आप भलीभांति परिचित होंगे कि इश्क़ में दिल टूटने के बाद उस टूटे हुए दिल का जुड़ना कितना मुश्किल होता है।


कुछ पंक्तियाँ जो मुझे बेहद पसंद आई वो ये हैं:


"एक तन्हाई के अलावा उसके होने के सुख बहुत थे।"

"इतने सालों में पहली बार उसने अपने आप को उस लड़की को 'उस तरह' से देखने के अपराधबोध से मुक्त पाया।"

"मैं उससे सुकून और चैन की दवा माँगता वो मुझे क़त्ल का सामान चिट्ठियों में रखकर भेज देती।"

" आधे चाँद की रौशनी में कहना मुश्किल था कि कौन ज्यादा खूबसूरत था, मैं या इश्क़।"

ऊपर लिखी पँक्तियों से आपको किताब की खूबसूरती का अंदाज़ा हो ही गया होगा।
अगर आपने किताब पढ़ी है तो कमेंट में जरूर बताइयेगा कि आपको ये किताब कैसी लगी। अगर आपने नहीं पढ़ी है तो इस लिंक पर क्लिक करके खरीद सकते हैं।
धन्यवाद!


©नीतिश तिवारी।

 

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