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Book review of Ghar Wapasi written by Ajeet Bharti.

Ghar wapsi by ajeet bharti





 










नमस्कार मित्रों!  एक और नए ब्लॉग पोस्ट में आपका स्वागत है। आज का ब्लॉग पोस्ट एक पुस्तक समीक्षा है। पुस्तक का नाम है घर वापसी और इसके लेखक हैं अजीत भारती। यूँ तो मैं फिक्शन से लेकर मोटिवेशनल और नॉन फिक्शन की कई किताबें पढ़ता रहता हूँ। मेरी कोशिश यही रहती है कि सप्ताह में एक किताब पढ़ कर पूरा कर लिया जाए। लेकिन हर बार यह संभव नहीं हो पाता। हर किताब की समीक्षा करना भी संभव नहीं हो पाता। लेकिन जब लेखक के साथ आपका एक भावनात्मक और अपनापन वाला जुड़ाव हो एवं लेखक की लेखनी में सच को लिखने की कला मौजूद हो तो आप न केवल किताब को जल्दी से पढ़ कर खत्म कर लेते हैं अपितु समीक्षा लिखने के लिए भी मजबूर हो जाते हैं।

इससे पहले कि मैं किताब घर वापसी की बात करूँ, लेखक के बारे में कुछ चर्चा करना जरूरी हो जाता है। बिहार के बेगूसराय जिले से ताल्लुक रखने वाले अजीत भारती आज एक लेखक और स्वतंत्र पत्रकार के रूप में खुद को स्थापित कर चुके हैं। जमीन से जुड़े व्यक्तित्व की पहचान और जरूरी मुद्दों को लेकर निर्भीक पत्रकारिता इन्हें उनके प्रशंसकों के दिल में उतर जाने के लिए बाध्य कर देती है। सबसे पहले मैंने इनकी किताब बकर पुराण पढ़ी थी और फिर इनको सोशल मीडिया पर फॉलो करने लगा। आप अगर इनसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं तो आपने यह जरूर महसूस किया होगा कि अजीत भारती जैसे निडर पत्रकार इस देश में विरले ही हैं।

अब बात करते हैं किताब घर वापसी की। घर वापसी एक ऐसी कहानी है जिससे हम में से अधिकतर लोग जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। एक लड़का जो बचपन में शरारती है। जवानी में जिम्मेदारियों के बोझ को अपने कंधों पर लिए हुए घर छोड़ कर चला जाता है। वर्षों तक घर से बाहर नौकरी करने के बाद पिताजी की तबीयत खराब होने पर घर वापस आता है। उसका गांव अब पहले जैसा नहीं रहता। इस बात को लेकर वह खुश भी है और दुखी भी होता है। खुशी इस बात की है कि उसके पिता का सपना पूरा होता दिख रहा है और दुख इस बात का है कि उसका बचपन और बचपन की यादें अब बस यादें बनकर ही रह गई हैं। अगर आप 90 के दशक में बड़े हुए हैं तो यह किताब आपको बहुत पसंद आने वाली है।

रवि का मंजरी को देखते हुए संस्कृत का श्लोक बोलकर महान बताना हो या फिर यह संवाद, "जवान मर्द का रोना बहुत ही हृदयविदारक होता है। एक मर्द को रोने की आज़ादी भी हमारा समाज नहीं देता और जब वह रोता है तो टूट कर बिखर चुका होता है।"  इस तरह के कई संवाद और घटनाएं हैं जो एक पाठक के रूप में आप को रोमांचित करती हैं। अगर आप किताब खरीदकर पढ़ना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करके ले सकते हैं।

 धन्यवाद!

©नीतिश तिवारी।

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