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मुझे तीन बार
इश्क़ हुआ है
पर हर बार
सिर्फ़ धोखा मिला है।
पहला इश्क़ दोस्ती
दूसरा इश्क़ मोहब्बत
और तीसरा इश्क़ तो
इश्क़ ही था।
अफसोस बस ये रहा
कि तीनों इश्क़ ने
साथ नहीं निभाया
बस किया और
छोड़ दिया।
©नीतिश तिवारी।
Ye Bhi Padhiye: Jab Ishq hua tumse.
12 Comments
सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (16-12-2020) को "हाड़ कँपाता शीत" (चर्चा अंक-3917) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।
Deleteहृदयस्पर्शी सृजन ।
ReplyDeleteThanks 😊😊😊
Deleteबहुत ही सुंदर अनुज स्मृति बन तीनों साथ है।
ReplyDeleteसादर
हाँ, एक या दो होतीं तो भूल भी जाता। अब तीन तीन को भूलना सम्भव नहीं। 😊😊
Deleteसुन्दर....
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteबहुत बढि़या। बधाई और शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआपका शुक्रिया।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।