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Bhojpuri Song.
गाँव जवार हमरा भूलल ना भुलावे ला,
गऊवें के हावा पानी शहर तक आवे ला,- 2
सभे लोगन कहत बाड़े लौट के आ जा,
गाँव के साँझ और भोर बुलावे ला। - 2
बचपन में बाबूजी देवत रहन पईसा,
मेलवा से लान के खाईत रही अरिसा।
घरवा के हालत ख़ातिर छूट गईल गाँव हो,
गाँव के छोरा होइलक शहर के जईसा।
गाँव जवार हमारा....
सरसो के खेत और नदिया के पानी,
करत रही हम रोजे बागवानी ( gardening)
गेहूँ कटा गईल रहरो (अरहर) बा आईल,
सभे बोलावत बाड़े करे के खलिहानी।
गाँव जवार हमारा.....
©नीतिश तिवारी।
कविता सुनिए।
क्यों गाँव मेरा वीरान हो गया?
14 Comments
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (23-08-2020) को "आदिदेव के नाम से, करना सब शुभ-कार्य" (चर्चा अंक-3802) पर भी होगी।
ReplyDelete--
श्री गणेश चतुर्थी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 22 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteआँचलिक भाषा में सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteधन्यवाद सुधा जी।
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteबड़ा बनहिया बा हो....
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteबहुत नीक बा
ReplyDeleteठीके कहली रउवा। धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।