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क्यों गलतफ़हमी में हो कि आज़ादी दिलाने वाले गाँधी हैं।

Happy Independence day





 लिख रहा हूँ आज मैं वो,
इंकलाब की आँधी है।

क्यों गलतफ़हमी में हो कि
आज़ादी दिलाने वाले गाँधी हैं।

बरसों का संघर्ष रहा,
कितनों ने है लाठियाँ खाई।
भगत सिंह फाँसी पर चढ़े,
तब जाकर है आज़ादी आई।

सुभाष बाबू के विचारों को,
युवाओं ने है खूब अपनाया।
लहू के एक एक कतरों से,
देश को है आज़ाद कराया।

हर शहीद का सम्मान करो,
राष्ट्रभक्ति का गुणगान करो।
युवा शक्ति का नया भारत है,
भारत माँ को तुम प्रणाम करो।

जय हिन्द।
भारत माता की जय।
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

©नीतिश तिवारी।






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12 Comments

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 15 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।

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  2. गांधी के योगदान को भी नकारा नहीं जा सकता है।
    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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    1. आपको भी शुभकामनाएँ।

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  3. जय हिन्द।
    गाँधी को समझने के लिए गाँधी सी दृष्टि चाहिए ।
    सादर।

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  4. सरलता से लिख दिया इस सत्य को आपने ...
    सच है बलिदानों ने रक्त से सींचा है तब आज़ादी मिली है ...

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    1. ब्लॉग पर पुनः आने के लिए शुक्रिया। जय हिंद।

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