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कुछ दिन की बातें, कुछ रात के तराने।


Night shayari and poem
Pic credit: pinterest.







वो रात नहीं गुजरी
वो दिन भी नहीं ढला है
वो आदमी तो अच्छा था
लोग ही कहते बुरा भला हैं।
.................................

मेरे हिस्से में आएगी
तो बताऊँगा,
वो सुकून है साहब
सबके पास नहीं आती।
नींद आ गयी तो 
सो जाऊँगा,
ये रात है साहब,
यूँ ही नहीं गुजर जाती।
................................

कुछ दिन की बातें
कुछ रात के तराने
मैंने लिखे अपने
हालात के अफ़साने
तुम्हें फुर्सत मिले तो
कभी पढ़ भी लेना
कैसे हुए थे हम
तेरे इश्क़ में दिवाने।

©नीतिश तिवारी।

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14 Comments

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 19 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (20-07-2020) को 'नजर रखा करो लिखे पर' ( चर्चा अंक 3768) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव

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    Replies
    1. रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।

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  3. बहुत सुंदर रचना

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  4. बहुत सुंदर सृजन।
    सादर

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

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  5. सुन्दर रचना नितेश जी

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