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One Shayari for father | एक शायरी पिता के लिए।
रोटी के जद्दोजहद में वो कितना मशगूल था,
अपने ईमान से समझौता उसे ना क़बूल था,
खुद भूखे रहकर बच्चों का पेट जो भरे,
यही उस बाप के जीवन का उसूल था।
Roti ke zaddojahad mein wo kitna mashgool tha,
Apne imaan se samjhauta use naa qabool tha,
Khud bhookhe rahkar bachchon ka pet jo bhare,
Yahi uss baap ke jeewan ka usool tha.
©नीतिश तिवारी।
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2 Comments
पिता ऐसा ही होता है ...
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण मुक्तक है ...
बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।