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तुम अजनबी थे
तो मैं अच्छा था
जब से जाना तुझे
मैं खराब हो गया
होश में लाने को
लोग मुझ पर
पानी डालते हैं
और फिर से
मैं बेहोश हो
जाता हूँ
लगता है तुम्हारे
हुस्न के जादू से
पानी भी शराब
हो गया
तुझसे मिलकर मैं
खराब हो गया
©नीतिश तिवारी।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 01 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteरचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteवाह !बेहतरीन अभिव्यक्ति सर
ReplyDeleteधन्यवाद अनिता जी।
DeleteBahut achha hein
ReplyDeleteधन्यवाद।
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