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भावनाओं के उदगार में बहता प्रेम।























Photo credit: twitter.








भावनाओं के उदगार में 
बहता हुआ प्रेम कभी
मुक़म्मल नहीं हो पाता है।

शायद उसे जरूरत होती है
एक कठिन फैसले की
जिसमें भागीदारी होती है
प्रेमी की, प्रेमिका की,
और किसी तीसरे की भी।

©नीतिश तिवारी।




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