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मोहब्बत के मुक़दमे की सुनवाई होनी थी,
इल्ज़ाम लगाने को पुख़्ता दलील ना मिला,
आशिक़ अपनी पैरबी करता भी तो कैसे,
ज़ख्म और दर्द को उसका वकील ना मिला।
Mohabbat ke muqadame ki sunwai honi thi,
Ilzaam lagaane ko pukhta daleel naa mila,
Ashiq apni pairbi karta bhi to kaise,
Zakham aur dard ko uska waqil naa mila.
©नीतिश तिवारी।
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