स्पर्श की चाह।
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कोमल हृदय
विरक्त प्रवाह
मुझे थोड़ी सी
स्पर्श की चाह
भाव विभोर से
उमड़ता है मन
विरह की आग
में सुलगता बदन
तुम्हें आगोश में
लेने की चाहत
तुम्हें दूर जाने
की पुरानी आदत
सुबह की किरण
में तुम्हारी याद
रात की चाँदनी
भी तुमसे आबाद
©नीतिश तिवारी।
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