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कविता- ज़िंदगी का फलसफा।

Pic credit : Pinterest.








कोई मुश्किल में जीता है,
कोई आसान समझता है।

ये जिंदगी का फलसफा है,
ये हर कोई समझता है।

फूलों और काँटों की जंग है,
अंदर ही अंदर एक द्वन्द्व है।

रोते नहीं हँसकर जीते हैं,
तभी तो जिंदगी में उमंग है।

©नीतिश तिवारी।
Twitter: @poetnitish

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6 Comments

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 07 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।

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  2. सार्थक यथार्थ दर्शन।

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 8.8.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3421 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

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    Replies
    1. रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।

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