Image courtesy : Google.
अंदाज़े बयाँ ना हो सही
पर दिल में अरमान हम भी रखा करते हैं
आओ कुछ नया करते हैं
दिल के अरमानो को बयां करते हैं
गिरने के डर से ना करने वाली कोशिशों को बयाँ करते हैं
गिर कर संभलने की दुआ करते हैं
आओ कुछ नया करते हैं
अतीत को भुला कर
वर्तमान में कुछ कर गुजरते हैं
आने वाले अतीत को इतिहासों में दर्ज कर गुज़रते हैं
आओ कुछ नया करते हैं
रैना के सपनो को रवि के तले सच कर गुजरते हैं
शिखा के बीच रोड़ों को पार कर हौसले बुलन्द करते हैं
आसमां को छू लेने वाली उड़ान भरते हैं
आओ कुछ नया करते हैं ।।
©शांडिल्य मनिष तिवारी।
14 Comments
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-03-2019) को "पापी पाकिस्तान" (चर्चा अंक-3262)) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteजीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण लिए सार्थक रचना।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 03 मार्च 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह! मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteबहुत ही अच्छी रचना आदरणीय
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत आभार।
Deleteसकारात्मक भावों को दर्शाती सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteशुक्रिया।
Deleteरैना के सपनो को रवि के तले सच कर गुजरते हैं
ReplyDeleteशिखा के बीच रोड़ों को पार कर हौसले बुलन्द करते हैं
वाह !!!!बहुत खूब ,सादर नमन
आपका धन्यवाद।
Deleteआशाओं और उम्मीदों की उड़ान....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर....
वाह!!!
आपका धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।