Kya kya mil gaya...
सस्ता सबूत, महँगी मोहब्बत और ये ज़ख्म,
इश्क़ में हमें ना जाने क्या क्या मिल गया।
डूबती कश्ती, सूखा समंदर और ये तूफान,
वजूद मेरा ना जाने कहाँ कहाँ खो गया।
अधूरे ख्वाब, बिखरी नींद और ये रात,
मंज़िल पाने को मैंने क्या क्या देख लिया।
©नीतिश तिवारी।
4 Comments
Bahut khub
ReplyDeleteThanks Atul.
Deleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।