तुम ये बात-बात पर अपने सौंदर्य प्रसाधन का जो डिमांड करती हो ना, मुझे तेरी मोहब्बत में घोटाला नज़र आता है। और ये घर छोड़कर मायके जानेवाली धमकी तो महाघोटाला लगता है। ज्यादा नीरव मोदी बनने की कोशिश ना करो क्योंकि मैं कोई PNB तो हूँ नहीं जो तुम लूटकर चली जाओगी। चलो मान लिया कि तुम मेरे दिल से खेलकर मोहब्बत में घोटाला कर लोगी। पर ये मत समझना कि मैं काँग्रेस की तरह ऑडिट नहीं होने दूँगा। प्यार में भ्रष्टाचार की लड़ाई के लिए बैठ जाऊँगा अनशन पर अन्ना की तरह, एक नए मोहब्बत के केजरीवाल की तलाश में।
अगर आपको मेरी ये रचना पसंद आयी हो तो कृपया मेरा फेसबुक पेज like कीजिए।
www.facebook.com/poetnitish
धन्यवाद।
©नीतिश तिवारी।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (25-02-2018) को "आदमी कब बनोगे" (चर्चा अंक-2892) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।
Deleteबढ़िया
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Delete