मेरी आवारगी खत्म हुई थी,
दीवानगी की शुरुआत थी,
मोहब्बत होने ही वाली थी,
और वो बेवफ़ा हो गए।
हम आशिक़ होके भी मशहूर ना हो सके,
तुमने बेवफ़ा बनकर खूब नाम कमा लिया।
आजकल तेरे खयालों के रंगीन सपने आते हैं,
लगता है मैं भी अब गाँव से शहर हो गया हूँ।
©नीतिश तिवारी।