पुरुष प्रधान समाज में,
नारी की ये परीक्षा है।
मुश्किल से मिलता हक़ इनको,
ये नारी की दुखद व्यथा है।
जब सीता जैसी नारी को अग्निपरीक्षा देनी पड़े,
जब वीर लक्ष्मीबाई को अंग्रेज़ों से लड़ना पड़े.
जब कल्पना चावला को देश की खातिर मरना पड़े,
जब मैरी क़ौम को विरोधी से लड़ना पड़े।
इसे ज़रूरत कहें या मजबूरी,
हर नारी ने दिखाई है दिलेरी,
अदम्य साहस का परिचय दिया है जिसने,
उस नारी शक्ति को नमन करता हूँ।
कभी माँ बनकर,कभी बहन बनकर,
कभी दोस्त बनकर, कभी पत्नी बनकर,
हर मुश्किल हर घड़ी में साथ निभाती है जो,
उस नारी शक्ति को नमन करता हूँ।
©नीतिश तिवारी।
4 Comments
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-03-2016) को "आठ मार्च-महिला दिवस" (चर्चा अंक-2276) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका शुक्रिया।
Deleteनमन है नारी शक्ति को ... भावपूर्ण रचना है ...
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।