तुझसे मिलने को जी भर के तैयारी ली हमने,
तुझसे इश्क़ करने की बीमारी कर ली हमने,
ये जानता था की कभी ना चुका पाउँगा तेरा कर्ज,
फिर भी मोहब्बत में क्यों उधारी कर ली हमने।
तेरे खयालों में हर बार खो जाने के बाद भी,
ना जाने कितनी रातें बिना सोये गुजारी हमने,
बरसों की ख्वाहिश अधूरी रही पर हौसला ना रुका,
सिर्फ तेरे खातिर बिना रोज़े के इफ्तारी कर ली हमने।
©नीतिश तिवारी।
2 Comments
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-04-2016) को "भारत माता की जय बोलो" (चर्चा अंक-2299) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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मूर्ख दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद सर।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।