This blog is under copyright. Please don't copy for commercial purpose
Saturday, April 25, 2015
Monday, April 20, 2015
होठों की मुस्कान लेकर लौटा हूँ.
ढूँढ रहा था जिस पल को उसमे होकर लौटा हूँ,
मैं मुसाफिर हूँ यारो सब कुछ खोकर लौटा हूँ,
और तुम क्या जानोगे अदब मेरी दीवानगी का,
उसके होठों की मुस्कान को मैं लेकर लौटा हूँ.
कोई वो पल ना था जिस पल मैं तड़पा नही,
सारे गमों को अपने मैं सॅंजो कर लौटा हूँ,
दुनिया मुझसे नफ़रत करे फिर भी मुझे गम नही,
सबके दिल मे एक प्यार के बीज़ बो कर लौटा हूँ.
©नीतीश तिवारी
Friday, April 17, 2015
shayri
ऐ खुदा कैसा वो मंज़र होगा,
जब सारा समंदर बंज़र होगा,
लोग तरसेंगे एक एक बूँद को,
तब तू ही जहाँ का सिकंदर होगा.
जब सारा समंदर बंज़र होगा,
लोग तरसेंगे एक एक बूँद को,
तब तू ही जहाँ का सिकंदर होगा.
© नीतीश तिवारी
Subscribe to:
Posts (Atom)