पल भर में शबनम,पल भर मे शोला,
शातिर तू है और मैं कितना भोला.
पतझड़ मे सावन और सावन मे बारिश,
तू है जैसे मेरे बरसों की ख्वाहिश.
अरबों की दौलत और दौलत की दुनिया,
आती है महफ़िल मे तुझसे ही खुशियाँ.
नयनों मे काजल और माथे पर बिंदिया,
उड़ा ले जाती है मेरी रातों की निंदिया.
तुझसे ही है रास्ता तुझसे ही है मंज़िल,
मेरे दिल की है ख्वाहिश तू कब होगी हासिल.
© नीतीश तिवारी
बहुत सुंदर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : क्यों वादे करते हैं
bahut bahut dhanywaad sir
Deleteसार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (22-02-2015) को "अधर में अटका " (चर्चा अंक-1897) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
meri rachna shamil karne ke liye aapka aabhar
Deleteवाह...लाजवाब प्रस्तुति...
ReplyDeleteऔर@जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
आपका आभार
ReplyDeleteबहुत ही बढि़या प्रस्तुति। शानदार रचना प्रस्तुत की है आपने।
ReplyDeletethank u so much
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