बहुत बंदिशें हैं ज़माने की, फिर भी बेताब हूँ तेरे दीदार को. क्यूँ ना साथ मिले अब तेरा, जब हम छोड़ आए अपने घर-बार को. पलके झुकाए खड़…
Read moreमर्ज़ी उसकी थी,इरादा मेरा था, पर्दे उसके थे, दरवाज़ा मेरा था. ख्वाब मेरे थे,सच उसके हुए, अल्फ़ाज़ मेरे थे,ग़ज़ल उसके हुए. …
Read more
Connect With Me