लब पर तेरा नाम लिखूँ या तुझे अपनी जान लिखूँ।
आज फिर खयाल आया कि कुछ सौगात लिखूँ ,
नींदों में बसे ख्वाब लिखूँ या तेरी कही हर बात लिखूँ।
आज फिर खयाल आया कि कुछ तहरीर लिखूँ ,
परदे के पीछे कि तस्वीर लिखूँ या अपनी रूठी तकदीर लिखूँ।
आज फिर खयाल आया कि कुछ अंज़ाम लिखूँ ,
उस महफ़िल की वो ज़ाम लिखूँ या दुनिया का इल्ज़ाम लिखूँ।
7 Comments
http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ के शुक्रवारीय ६/१२/१३ अंक में आपकी रचना को शामिल किया जा रहा हैं कृपया अवलोकनार्थ पधारे ............धन्यवाद
ReplyDeleteआपका आभार
Deleteसुंदर रचना के लिए आपको बधाई
ReplyDeleteसंजय भास्कर
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteबहुत खुबसूरत रचना नीतिश जी !
ReplyDeleteनई पोस्ट वो दूल्हा....
latest post कालाबाश फल
प्रशंसनीय प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।