तुम जो बसे परदेश पिया,
मैं हूँ अपने देश पिया,
जब याद तुम्हारी आती है,
मेरे जिया को तड़पाती है .
तेरे नाम की खुश्बू जब-जब,
मेरे साँसों को महकाती है,
रोम -रोम पुलकित हो जाता ,
जब याद तुम्हारी आती है.
मेरे आँखों के काजल में तुम,
मेरे बातों के हलचल में तुम,
पर हर बार मैं यही सोचती हूँ,
क्यूँ साथ नही अब मेरे तुम.
अपनी खामोशी को क़ैद किए,
तुम्हारे आगोश में लिपट जाती हूँ,
मैं कैसे बताऊँ तुम्हे साँवरिया,
तुम बिन कैसे मैं जी पाती हूँ.
12 Comments
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति 22-11-2013 चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeletemeri rachna shamil karne ke liye aapka aabhar
Deleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : पुरानी फाईलें और खतों के चंद कतरे !
नई पोस्ट : मेघ का मौसम झुका है
thank you so much sir ..
Deleteaise hi mera utsah badhate rahiye
बहुत सुंदर ।
ReplyDeletedhanywad pradeep ji
Deleteचर्चा मंच पर लिंक
ReplyDeleteमतलब
आज के दौर का स्तरीय लेखन //
बहुत सुंदर
mere bhi blog par aaye...
आपका आभार ऐसे ही मेरा हौसला बढ़ाते रहिए
Deleteधन्यवाद
Bahut Sundar.
ReplyDeletethanks a lot..
Deleteनिशब्द करती रचना.....
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत पंक्तियां.... आमीन...!!!
धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।