इश्क़ वो दरिया है जिसमे गोते लगाते हैं सभी।
हर बार चला देता है वो अपने तरकश का तीर ,
कम्बख्त मेरा ही दिल होता है उसके निशाने पर।
आ जाना मेरे ख्वाबों में आज भी ,
दीदार कि तलब एक बार फिर जगी है।
अपनी आँसुओं से मिटा देते तेरी तस्वीर को ,
पर कम्बख्त निकलता भी नहीं तेरी याद के बिना।
4 Comments
सुन्दर व सशक्त नज़्म है......बधाई ....
ReplyDeleteVery Interesting Kahani Shared by You. Thank You For Sharing.
ReplyDeleteप्यार की बात
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल !!
ReplyDeleteकाफी सुंदर चित्रण ..... !!!
ReplyDeleteकभी हमारे ब्लॉग पर भी पधारे.....!!!
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Sanjay Bhaskar
http://sanjaybhaskar.blogspot.in/
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