मेरे अहसास को अपनी दामन में छुपा लो,
मेरे ख्वाब को अपनी आँखो में सज़ा लो,
मेरी प्यास को अपनी रूह में बसा लो,
मेरी धड़कन को अपनी ज़िंदगी बना लो.
शाम से मेरी आँखें नम हैं,
तू ही बता क्या मेरा प्यार कम है,
महबूब समझता हू तुझे अपने दिल से,
क्या यही मेरी ज़िंदगी का भ्रम है.
ना जाने कैसा अहसास था,
ना जाने कैसी मोहब्बत थी,
हम हर तस्वीर को सजाते रहे,
वो हर तस्वीर को मिटाते रहे.
मुझे बक्श मेरे खुदा उसकी कातिल अदाओं से,
वक़्त बदले ना बदले,वो हर पल बदल जाती है.
हमे मोहब्बत की तलाश थी,उन्हे शोहरत की,
हम अपनी मोहब्बत लूटा बैठे,उनके शोहरत के खातिर.
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प्यार के साथ
आपका नीतीश
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