चाहत या दीवानगी
क्या वो तुम हो ?
जिसे मैं चाहता हूँ,
या तुम्हारी परछाई,
जो हर रोज़ मुझे नज़र आती है.
एक खूबसूरत सपने की तरह,
या सिर्फ़ एक नज़राना,
जिसे कबूल करना चाहता हूँ मैं,
हरेक लम्हे में खोई हुई
आसमान मे चमकते चाँद की तरह
या सागर में डूबे हुए मोती की तरह,
और हर पल एक चमक,
तुम्हारे चेहरे की,
तुम्हारी अदाओं की.
छा जाती है मेरे दिल पर,
और मदहोश हो जाता हूँ मैं.
कुछ नज़र आता है,
तो सिर्फ़ तुम्हारा चेहरा,
और तुम्हारे चेहरे का जादू
खींच लेता है मुझे,
एक अंजान रिश्ते की तरफ,
एक अटूट बंधन की तरह,
जिसमे होना चाहता हूँ मैं,
सिर्फ़ तुम्हारे साथ,
और प्यार की गहराई मे,
खोना चाहता हूँ मैं,
सिर्फ़ तुम्हारे साथ,सिर्फ़ तुम्हारे साथ.....
आपका नीतीश
आपका नीतीश
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