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आज कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर एक कविता
तू मेरे लिए 16108 रानियों के बराबर है,
और मेरा दिल तुझे राधा की भाँति अपनाता है,
तू मेरे लिय इतना खास है,
जैसे सावन का पहला एहसास है।
जो मेरे सीने में धड़क रही है,
उसकी तू कमजोरी है,
मैं द्वापर का कृष्ण तो नहीं मगर,
फिर भी अपनी कहानी अभी तक अधूरी है।
मेरी तरफ से तो बातें पूरी है,
पर तेरी भी कुछ मजबूरी है,
तेरी बस एक मुस्कान ने
फेरी दुनिया मेरी है।
तू राधा रुक्मिणी जिस भी रूप में,
आजा तुझे स्वीकारने में,
ये दिल करता नहीं देरी है,
तू मेरी तरफ से पूरी की पूरी मेरी है।
मेरी धड़कनो पर राज तेरा ही है,
फिर किस बात की देरी है,
तू ही मेरी दुनिया है या,
तुझसे मेरी दुनिया है,
इसी द्वंद में फसी कहानी मेरी है।
©शांडिल्य मनिष तिवारी।
3 Comments
बहुत बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteवाह बहुत अद्भुत सा सृजन ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
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