आ जाओ मेरे साथ,
अंधेरा रास्ता है तो क्या,
तुम्हारी चमक तो बरकरार है.
पता है?
मुझे जमाने से कभी,
शिकायत ना रही,
कि क्या मिला और क्या नही.
क्यूंकि मैं जनता हूँ,
कि मेरा रास्ता भी तुम हो ,
और मेरी मंज़िल भी तुम हो.
और इसलिए नही कि
तुम इतनी हसीन हो,
बल्कि इसलिए कि
तुम मेरे दिल की सुकून हो.
©नीतीश तिवारी
4 Comments
सुन्दर
ReplyDeleteशुक्रिया।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (20-06-2015) को "समय के इस दौर में रमज़ान मुबारक हो" {चर्चा - 2012} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आपका धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।